हर हर महादेव!
सावन का महीना आते ही, श्रद्धालुओं की भीड़ सुल्तानगंज से देवघर की ओर उमड़ पड़ती है। यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और साहस की अनूठी गाथा है।
सुल्तानगंज, बिहार का एक प्राचीन और पवित्र स्थल, गंगा के तट पर स्थित है। यहां से श्रद्धालु पवित्र गंगाजल को कांवड़ में भरते हैं और देवघर, झारखंड स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम की ओर प्रस्थान करते हैं। इस यात्रा की लंबाई लगभग 105 किलोमीटर होती है और इसे पूरा करने में साधारणतः पांच से सात दिन लगते हैं।
कांवड़ यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के चेहरे पर अद्वितीय आस्था और श्रद्धा की झलक दिखती है। पांवों में छाले, धूप की तपिश, बारिश की बौछारें – इन सबको सहते हुए भी वे अपने आराध्य भगवान शिव के प्रति अपने प्रेम और भक्ति में कमी नहीं आने देते। इस यात्रा में उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, परंतु उनकी आस्था हर चुनौती को पार कर लेती है।
यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत साहस की परीक्षा है, बल्कि सामूहिकता का भी अद्वितीय उदाहरण है। कांवड़ियों का एक-दूसरे के प्रति सहयोग और समर्पण अद्वितीय है। हर कदम पर, वे एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते हैं, जरूरतमंदों की सहायता करते हैं और साथ मिलकर कठिनाइयों का सामना करते हैं।
कांवड़ यात्रा के दौरान अनुशासन और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। श्रद्धालु शराब, मांसाहार और अन्य अपवित्र चीजों से दूर रहते हैं। वे नंगे पांव चलते हैं और हर कदम पर भगवान शिव का स्मरण करते हैं। यह यात्रा उन्हें मानसिक और आत्मिक शुद्धि प्रदान करती है।
इस यात्रा के दौरान मार्ग के हर पड़ाव पर मेले और उत्सव का माहौल होता है। स्थानीय लोग श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए पंडाल, भोजन और आवास की व्यवस्था करते हैं। भजन-कीर्तन, धार्मिक प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस यात्रा को और भी मनोरम बना देते हैं।
देवघर पहुंचकर श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ धाम में पवित्र गंगाजल अर्पित करते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह यात्रा उन्हें एक नई ऊर्जा, उत्साह और आत्मविश्वास से भर देती है।
सुल्तानगंज से देवघर की कांवड़ यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आस्था और साहस की अनूठी कहानी है। हर हर महादेव का जयघोष करते हुए यह यात्रा श्रद्धालुओं के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ जाती है।
हर हर महादेव!
Har har mahadev
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